मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक एहसा फैसला सुनाते हुए भोपाल की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से उम्रकैद की सजा पाने वाले शख्स को निर्दोष करार दिया है। साथ ही, मध्य प्रदेश कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश तक दे दिये हैं कि, उस शख्स को कैद के एवज में मुआवजा भी देना होगा। जस्टिस सुनीता यादव की खंडपीठ ने कहा कि, द्वेषपूर्ण अभियोजन के कारण आवेदक का पूरा जीवन अव्यवस्था की भेंट चढ़ा दिया है उसको अब सरकार अब मुआवजा देगी।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का कहना है कि, जो शख्स निर्दोष था, उसे 4 हजार 740 दिन यानी करीब 13 साल तक जेल में रहना पड़ा , इसलिए अब सरकार को उसके बदले में युवक को 42 लाख रुपए मुआवजा देना होगा। कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को 90 दिन के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सख्ती बररते हुए ये भी कहा है कि, अगर मध्य प्रदेश सरकार समय पर युवक को मुआवजा नहीं देती तो उसे सालाना 9 फीसदी ब्याज देना होगा जिस से सरकार की और मुश्किलें बढ़ सकती है ।
हम आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश के बालाघाट में रहने वाले चंद्रेश मर्सकोले भोपाल के एक गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे थे। चंद्रेश पर आरोप था कि, उसने 19 अगस्त 2008 को अपनी प्रेमिका की हत्या करके शव को पास नदी में फेंक दिया था। इसपर फैसला सुनाते हुए अदालत ने चंद्रेश मर्सकोले को 31 जुलाई 2009 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
चंद्रेश मर्सकोले ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की और उन्होंने दलील देते हुए कहा कि, असल में डॉ. हेमंत वर्मा ने उसकी हत्या की है और खुद को बचाने के लिए उसने चंद्रेश को झूठे केस में फंसाया। कोर्ट ने कहा कि, पूरे प्रकरण का अवलोकन करने के बाद ये उजागर होता है कि, पुलिस ने इस मामले में चंद्रेश मर्सकोले आरोपी को बचाने और आरोपी को फंसाने के उद्देश्य से ही गलत जांच की है।
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